बगदाद में अमेरिकी हमले में मारे गए ईरान की रिवोल्यूशनरी गार्ड के मेजर जनरल कासिम सुलेमानी के बाद पूरे मध्य एशिया में तनाव व्याप्त है। अमेरिका ने ये हमला उसके दूतावास पर इराकी शिया समुदाय के हिंसक प्रदर्शन के बाद किया गया। इन प्रदर्शनकारियों का लिंक सीधेतौर पर ईरान से था। कासिम सुलेमानी ईरानी सेना के बीच बड़ा नाम था।
1957 में की थी रिवोल्यूशनरी गार्ड ज्वाइन
सुलेमानी का जन्म 1957 में हुआ था और 1979 में उन्होंने रिवोल्यूशनरी गार्ड को ज्वाइन किया था। कासिम का मिलिट्री करियर काफी बड़ा और बेहतर रहा था। सेना में कासिम के कदम बड़ी तेजी से आगे बढ़े थे। वह जब 30 वर्ष के थे तब उन्हें 41वीं साराल्हा डिवीजन की कमान सौंपी गई थी। 80 के मध्य में उन्होंने ही इराक के शासक सद्दाम हुसैन को हटाने के लिए सीक्रेट मिशन की शुरुआत की थी। इसके लिए उन्होंने इराकी कुर्द लड़ाकों का भी साथ लिया
निभाई अहम भूमिका
खाड़ी युद्ध के बाद कासिम को अफगान सीमा से होने वाली नशीले पदार्थों को रोकने की जिम्मेदारी दी गई थी। वर्ष 2002 में कासिम को कुद्स फोर्स का प्रमुख बनाया गया। यह फोर्स रिवोल्यूशनरी गार्ड की ही एक यूनिट है जो ईरान के बाहर वहां की पॉलिसी और दूसरी अहम मंसूबों को पूरा करने में बड़ी भूमिका निभाती है। यह ईरान की एलिट फोर्स का हिस्सा है। आपको बता दें कि कासिम की जवाबदेही केवल ईरान के सुप्रीम लीडर को थी। अमेरिका ने न सिर्फ कासिम पर बल्कि पूरे रिवोल्यूशनरी गार्ड पर ही पाबंदी लगा रखी थी।
सीधे खमेनी को करते थे रिपोर्ट
वर्ष 2011 में ईरान के सुप्रीम लीडर अली खमेनी ने कासिम को रिवोल्यूशनरी गार्ड का मेजर जनरल बनाया था। जिस वक्त बगदाद में उनके ऊपर अमेरिका ने रॉकेट से हमला किया उससे कुछ देर पहले ही उन्होंने एक वार्निंग जारी कर कहा था कि अमेरिका अपने दूतावास पर हुए हमले का बदला लेने के लिए कोई कार्रवाई कर सकता है। हालांकि अपनी वार्निंग में उन्होंने ये भी कहा था कि ईरान युद्ध की तरफ तो नहीं बढ़ रहा है लेकिन एक संभावित खतरे की तरफ जरूर जा रहा है। आपको बता दें कि अमेरिका सुलेमानी को इराक में स्थित अमेरिकी गठबंधित सेनाओं के ठिकानों पर हमले का दोषी मानता आया था